बीता लम्हा छूटा साथी
लौट कभी नहीं आता है
हर बार अकेलेपन में निर्दयी
याद सदा आ जाता है
कई साल-महीने बीत गए हैं
हम भी कुछ दिल जीत गए हैं
हर जीता दिल अब भी मुझको
इक हार की याद दिलाता है
हर बार अकेलेपन में निर्दयी
याद सदा आ जाता है
ये अच्छा है तुम छोड़ गए
दिल को ऐसा तोड़ गए
कोई घाव भी गहरा-हल्का
अब दर्द नहीं दे पाता है
हर बार अकेलेपन में निर्दयी
याद सदा आ जाता है
nice :)
ReplyDeleteबहुत ख़ूब 👍
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